शुक्रवार 23 मई 2025 - 07:22
ज़ुहूर का समय तय करना

हौज़ा / "हमेशा ऐसे लोग रहे हैं जो बुरी नीयत से किसी के ज़ाहिर होने का समय तय करते रहे हैं, और भविष्य में भी ऐसे लोग होंगे। इसलिए आइम्मा ए मासूमीन (अ) ने कहा है कि हमें ऐसे लोगों के सामने बेपरवाह नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें झूठा साबित करना चाहिए।"

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, "एक सवाल जो हमेशा कई लोगों के दिल व दिमाग़ में रहता है, वह यह है कि इमाम ज़माना (अलैहिस्सलाम) कब ज़ुहूर करेंगे और क्या उनके ज़ाहिर होने का कोई निश्चित समय तय है?

इसका जवाब यह है कि धार्मिक नेताओं की बातों के अनुसार, ज़ुहूर का समय लोगों से छिपा हुआ है।

इमाम सादिक़ (अलैहिस्सलाम) ने इस बारे में फ़रमाया है:"

کَذَبَ اَلْمُوَقِّتُونَ مَا وَقَّتْنَا فِیمَا مَضَی وَ لاَ نُوَقِّتُ فِیمَا یَسْتَقْبِلُ कज़बल मुवक़्क़ेतूना मा वक़्क़तना फ़ीमा मज़ा वला नोवक़्क़ेतो फ़ीमा यस्तक़बेलो

क्त बताने वाले झूठ बोलते हैं। हमने पहले कभी ज़ुहूर का समय तय नहीं किया और भविष्य में भी तय नहीं करेंगे।’ (अल-ग़ैबाह, शेख़ तूसी, भाग 1, पेज 426)

जो लोग ज़ुहूर का निश्चित समय बताते हैं, वे धोखेबाज और झूठे होते हैं। यह बात हदीसों में भी जोर देकर कही गई है।

इमाम बाक़िर (अलैहिस्सलाम) ने भी अपने एक साथी से, जिसने ज़ूहूर के समय के बारे में पूछा था, कहा:"

کَذَبَ الوَقّاتونَ، کَذَبَ الوَقّاتونَ، کَذَبَ الوَقّاتونَ कज़बल वक़्क़ातूना, कज़बल वक़्क़ातूना, कज़बल वक़्क़ातूना

वक्त बताने वाले झूठ बोलते हैं, वक्त बताने वाले झूठ बोलते हैं, वक्त बताने वाले झूठ बोलते हैं। (अल-ग़ैबाह, शेख़ तूसी, भाग 1, पेज 425)

ऐसे हदीसों से स्पष्ट होता है कि हमेशा ऐसे लोग रहे हैं जो बुरी नीयत से ज़ुहूर का समय तय करते रहे हैं और भविष्य में भी ऐसे लोग होंगे। इसलिए आइम्मा ए मासूमीन (अलैहिस्सलाम) ने अपने अनुयायियों से कहा है कि वे ऐसे लोगों के सामने बेपरवाह न रहें, बल्कि उन्हें झूठा साबित करें।

इमाम सादिक़ (अलैहिस्सलाम) ने इस विषय में अपने एक साथी से कहा:

مَنْ وَقَّتَ لَکَ مِنَ اَلنَّاسِ شَیْئاً فَلاَ تَهَابَنَّ أَنْ تُکَذِّبَهُ فَلَسْنَا نُوَقِّتُ لِأَحَدٍ وَقْتاً मन वक़्क़ता लका मिनन नासे शैअन फ़ला तहाबन्ना अन तोकज़्ज़ेबहू फ़लस्ना नोवक़्क़ेतो लेअहदिन वक़्तन

अगर कोई तुम्हें जुहूर का समय बताता है तो उसे झूठा साबित करने में कभी हिचकिचाओ मत, क्योंकि हमने किसी के लिए भी ज़ुहूर का कोई समय तय नहीं किया है। (अल-ग़ैबाह, शेख़ तूसी, भाग 1, पेज 426)

इक़्तेबास: किताब "नगीन आफरिनिश" से (मामूली परिवर्तन के साथ)

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